Thursday 17 October 2013

Missile Men of India

           भारत में मिसाइल प्रोग्राम के जनक एपीजे अब्दुल कलाम किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं . उनका पूरा नाम अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम है . भले ही उन्हें हिंदी नहीं आती है लेकिन वह भगवत गीता और कुरान दोनों को ही पढ़ते भी हैं और इनमें दिए आदर्शो को अपने जीवन में उतारने का भी प्रयास करते है . 18 जुलाई , 2002 को डाक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया और उन्होंने 25 जुलाई को अपना पदभार ग्रहण किया . इस पद के लिये उनका नामांकन उस समय सत्तासीन एनडीए सरकार ने किया था जिसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सम्रथन हासिल हुआ था .
इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है. इसरो में एसएलवी 3 पर काम करने के दौरान ही उन्हें उस दौर के महान भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी मौका मिला.
1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आये. डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह एसएलवी -3 प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ. 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था. इस प्रकार भारत भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया.
उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वह एक पायलट बनना चाहते थे, लेकिन विफल रहे. हालांकि मिसाइल क्षेत्र में नाम कमाने के बावजूद आसमान में उड़ने की उनकी हसरत मन में बसी रही. उनकी यह हसरत जून 2006 में उस वक्त पूरी हुई जब उन्होंने सुखोई 30 में आसमान की बुलंदियों को छुआ. यह उनके लिए किसी यादगार पल से कम नहीं था. इसके साथ वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति भी बन गए.
डॉक्टर कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की . यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे . 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान गाइडेड मिसाइल के विकास पर केंद्रित कर दिया . अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है . जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुए .
डाक्टर कलाम को 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है. उनकी उपलब्धियों के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया.
डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भारत ग्यारहवें राष्ट्रपति बनें. उनके लिए यह बात बेहद प्रचलित है कि राष्ट्रपति के पद का निर्वाहन करते हुए उन्होंने राष्ट्रपति भवन में ही एक लैब भी बनवाई, जिसमें वह काम करते थे.
डॉक्टर कलाम ने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया. उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ. इसके बाद भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की.
डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया. इन्होंने अगनि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था. डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे.

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